Old Pension Latest List 2024: पेंशन को कर्मचारियों के बुढ़ापे का मुख्य सहारा माना जाता है। यह उनके सेवानिवृत्ति के बाद की जीवन यात्रा को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कर्मचारी संगठनों का मानना है कि सरकार को यह सुरक्षा कवच नहीं छीनना चाहिए।
पुरानी पेंशन योजना का स्वरूप
पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत, सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय उनके अंतिम वेतन का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता था। इस योजना में कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं की जाती थी और पूरी राशि सरकारी खजाने से दी जाती थी। इसके अतिरिक्त, कर्मचारियों को 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी राशि भी मिलती थी।
नई पेंशन योजना का आगमन
1 अप्रैल 2004 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को समाप्त कर दिया और उसके स्थान पर राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) लागू की गई। इस कदम से कर्मचारियों में असंतोष पैदा हुआ और वे पुरानी योजना को पुनः लागू करने की मांग करने लगे।
कर्मचारियों की मांग और राज्यों की प्रतिक्रिया कर्मचारी संगठन लगातार पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं। कुछ राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, राजस्थान और पंजाब ने इस मांग को स्वीकार करते हुए पुरानी योजना को लागू कर दिया है। हालांकि, कई अन्य राज्य अभी भी इस पर विचार नहीं कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण
पुरानी पेंशन योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना दृष्टिकोण रखा है। कोर्ट ने इस मुद्दे की जटिलता को समझते हुए राज्यों को अपने स्तर पर निर्णय लेने की छूट दी है।
वृद्धावस्था पेंशन योजना:
एक वैकल्पिक समाधान उत्तर प्रदेश में वृद्धावस्था पेंशन योजना एक वैकल्पिक समाधान के रूप में उपलब्ध है। इस योजना के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है और पात्र व्यक्ति किसी भी समय आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए आधार कार्ड, बीपीएल राशन कार्ड, आय प्रमाणपत्र, निवास प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाणपत्र और पता प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज आवश्यक हैं।
पुरानी पेंशन योजना का मुद्दा कर्मचारियों और सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है। जहां कर्मचारी अपने भविष्य की सुरक्षा चाहते हैं, वहीं सरकार आर्थिक बोझ को संतुलित करने की चुनौती का सामना कर रही है। इस मुद्दे का समाधान दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए निकाला जाना चाहिए, ताकि कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित रहे और साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पर अनावश्यक दबाव न पड़े।
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