कर्मचारियों में फिर खुशी की लहर.. पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर आ गई बड़ी अपडेट Purani Pension Update 2024

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Purani Pension Update 2024: हाल ही में, सरकार ने एक बार फिर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) पर अपना रुख स्पष्ट किया है। बजट सत्र के पहले दिन, कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने इस मुद्दे पर सवाल उठाया। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जवाब दिया कि केंद्र सरकार के पास ओपीएस की बहाली का कोई प्रस्ताव नहीं है।

सरकार का रुख

सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह फिलहाल पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का विचार नहीं रखती। यह स्थिति 1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में शामिल हुए कर्मचारियों के लिए भी लागू है। हालांकि, कई राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस को फिर से शुरू करने पर विचार कर रही हैं।

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ओपीएस बनाम एनपीएस: प्रमुख अंतर

  1. वेतन कटौती: ओपीएस में पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती, जबकि एनपीएस में 10% कटौती होती है।
  2. जीपीएफ सुविधा: ओपीएस में जीपीएफ की सुविधा है, एनपीएस में नहीं।
  3. रिटर्न की गारंटी: ओपीएस गारंटीड रिटर्न देता है, जबकि एनपीएस बाजार पर निर्भर है।
  4. पेंशन राशि: ओपीएस में आखिरी वेतन का 50% तक पेंशन मिलती है, एनपीएस में यह निश्चित नहीं है।
  5. महंगाई भत्ता: ओपीएस में डीए लागू होता है, एनपीएस में नहीं।
  6. पारिवारिक पेंशन: ओपीएस में बेहतर प्रावधान है।
  7. निवेश आवश्यकता: ओपीएस में अतिरिक्त निवेश की जरूरत नहीं, एनपीएस में 40% निवेश जरूरी है।

संभावित परिणाम

यदि ओपीएस को बहाल किया जाता है, तो इसके कई सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं:

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  1. वित्तीय सुरक्षा: कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित आय की गारंटी मिलेगी।
  2. मध्यम वर्ग का उत्थान: इससे मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
  3. वरिष्ठ नागरिकों का कल्याण: बुजुर्गों को बेहतर वित्तीय सहायता मिलेगी।
  4. जीवन स्तर में सुधार: निश्चित पेंशन से लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो सकता है।

हालांकि, ओपीएस की बहाली के कुछ नकारात्मक पहलू भी हो सकते हैं:

  1. सरकारी खजाने पर बोझ: यह योजना सरकार के लिए वित्तीय रूप से बोझिल हो सकती है।
  2. विकास कार्यों पर असर: अधिक पेंशन खर्च से विकास कार्यों के लिए धन कम हो सकता है।
  3. युवा पीढ़ी पर दबाव: भविष्य में कर बोझ बढ़ सकता है।

पुरानी पेंशन योजना एक जटिल मुद्दा है जिस पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। हालांकि यह कर्मचारियों के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन इसके दीर्घकालिक आर्थिक प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा। सरकार को ऐसा समाधान खोजना होगा जो कर्मचारियों की सुरक्षा और देश की आर्थिक स्थिरता के बीच संतुलन बनाए रखे।

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